सुप्रीम कोर्ट ने आपातकालीन फैसला पारित कर दिए हैं कि यदि कोई धर्म जात के नाम पर ईसाई समाजों पर हमला करता है या हमला करवाता है तो उसको 10 साल की सजा हो सकती है. भारत एक धर्मनिरपेक्ष और लोकतंत्रात्मक देश है. हर एक लोगों को अपने-अपने धर्म का प्रचार करने का मौलिक अधिकार है धर्म के नाम पर किसी के पास अधिकार नहीं है कि वह किसी भी ग्रन्थ के बिषय मे अभद्र टिप्पड़ी करे. यह एक जघन्य अपराध है, कोई भी जाति या धर्म किसी दूसरे जाति या धर्म को निचा नहीं बता सकता यदि कोई ऐसा करते पाया जाता है, पुख्ता सुबूत होने पर उसके खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जाएगी, बिना वजह यदि कोई किसी को धर्म के नाम पर मारपीट करता है तो उसके फोटो व वीडियो होने पर उसे 10 साल तक की सजा हो सकती है.
सर्वधर्म समभाव
जय हिन्द जय भारत 🙏🙏🙏🙏